शांडिल्य गोत्र सरयूपारीण ब्रह्मण | Shandilya Gotra Saryuparin Brahman
शांडिल्य, की परिभाषा शांडिल्य, का अर्थ शांडिल्य - शांडिल्यसंज्ञा पुं० [सं० शाणिडल्य]
१. बेल । श्रीफल ।
२. अग्नि ।
३. एक मुनि जिनकी रची एक स्मृति है और जो भक्तिसूत्र के कर्ता माने जाते हैं ।
४. शांडिल्य के कुल में उत्पन्न पुरूष ।
५. सरयूपारीण ब्राह्मणों के तीन प्रधान गोत्रों में से एक गोत्र । यौ०—शांडिल्य गोत्र = शांडिल्य के कुल में उत्पन्न ।
शांडिल्य गोत्र की व्युत्पत्ति
व्रह्मा : - कश्यप,असिती,देवल.
वेद :- सामवेद
प्रवर :- कश्यप,असिती,देवल
शाखा :- कौथुमी
उपवेद:- गन्धर्व
शिखा:- वाम
पाद :- वाम
सूत्र :- गोमिल
इष्ट देव :- शिव
वंशज :- सरया,सोहगौरा,मठिया,देउरवा,बलुआ,सिरजम,धानी,सोपारी,चेतिया,परतावल.
उप नाम: - राम,कृष्ण,नाथ,मणि.
राम घराना:- गोरखनाथ नामक एक तपस्वी एवं ओजस्वी ब्राह्मण थे उन्ही के नाम पर राम घराना नाम पड़ा.
सरया,सोहगौरा,उनवलिया,अतरौलिया,रुद्रपुर,झुडिया,वहुआरी,मसरुतिया,कोठा,वदश,मऊ,गोहना,दुलई,मलहानी.
कृष्ण घराना:- बारिपुर, बसावनपुर, बंजरिया ,बुधियाबारी.
नाथ घराना:- नदौली , चेतिया,परतावल,मिलौनी,निगहिया.
मणि घराना:- देवता, पचरुखिया, धानी, हरदी,बलुआ,बुधियाबारी,तलियाबाद,बढ़ना,सिरजम,सेमरी,रथवर्ग,देवतिया,बरपार,उद्धवपुर,हथिदह,परास्सुपारी,यमुना,करकपर्गढ़,सुकरौली,सोनौरा ,कुठौली,सिसवांलेदक |
शांडिल्य, की परिभाषा शांडिल्य, का अर्थ शांडिल्य - शांडिल्यसंज्ञा पुं० [सं० शाणिडल्य]
१. बेल । श्रीफल ।
२. अग्नि ।
३. एक मुनि जिनकी रची एक स्मृति है और जो भक्तिसूत्र के कर्ता माने जाते हैं ।
४. शांडिल्य के कुल में उत्पन्न पुरूष ।
५. सरयूपारीण ब्राह्मणों के तीन प्रधान गोत्रों में से एक गोत्र । यौ०—शांडिल्य गोत्र = शांडिल्य के कुल में उत्पन्न ।
शांडिल्य गोत्र की व्युत्पत्ति
व्रह्मा : - कश्यप,असिती,देव
वेद :- सामवेद
प्रवर :- कश्यप,असिती,देव
शाखा :- कौथुमी
उपवेद:- गन्धर्व
शिखा:- वाम
पाद :- वाम
सूत्र :- गोमिल
इष्ट देव :- शिव
वंशज :- सरया,सोहगौरा,मठ
उप नाम: - राम,कृष्ण,नाथ,म
राम घराना:- गोरखनाथ नामक एक तपस्वी एवं ओजस्वी ब्राह्मण थे उन्ही के नाम पर राम घराना नाम पड़ा.
सरया,सोहगौरा,उन
कृष्ण घराना:- बारिपुर, बसावनपुर, बंजरिया ,बुधियाबारी.
नाथ घराना:- नदौली , चेतिया,परतावल,म
मणि घराना:- देवता, पचरुखिया, धानी, हरदी,बलुआ,बुधिय
नदौली के तिवारी नाथ घराना के तिवारी नही हैं , उनका गोत्र गर्द्धमुख शांडिल्य है , उनके नाथ लिखने के पीछे पिंडी के तिवारी और नदौली के तिवारी के वर्चस्व की एक कहानी है ।
जवाब देंहटाएंकृपया इस सही करें , राम ,कृष्ण , मणि और नाथ इनका गोत्र श्रीमुख शांडिल्य है , श्रीमुख शांडिल्य गोत्र के नाथ त्रिपाठी प्रतापगढ़ और बलरामपुर जिले के कुछ हिस्सों में पाये जाते हैं ।
बाकी भी बहुत सारी अशुद्धियां है , आप प्रयाग के सरयूपारीण कालेज में रखी ब्राह्मण वंशावलियों का अध्ययन कर उन्हें अपने ब्लाग में ठीक करने का कष्ट करें । धन्यवाद।
पहले आप अपनी जानकारी दुरुस्त करें
हटाएंअधूरी और एकांगी जानकारी के आधार पे गलत टिप्पणियाँ न करे
हटाएंIs parvat prakash dale harsh mukh shandilya kaise aaye aur unke gotra parvat rishi ved aadi kya hai
जवाब देंहटाएंBahut hi abhinandniya prayas .....sadar swagatam..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रयास
जवाब देंहटाएंसंकल्प तिवारी
जवाब देंहटाएंगोत्र शांडिल्य पीढ़ी तिवारी
कृपया कुलदेवी और कुलदेवता का नाम बताए।